हनुमानजी के चमत्कार की सच्ची घटना
नमस्कार जयेशभाई मैंने आपके चैनल में श्री हनुमानजी के चमत्कार से जुड़े बहुत सारे वीडियोस देखे है, में बनारस की रहने वाली हूँ, में अपना नाम गुप्त रखना चाहती हूँ, मेरे जीवन में श्री हनुमानजी ने ऐसे ऐसे चमत्कार दिखाये है की में क्या बताऊं,
सोचती थी की श्री हनुमानजी को बस प्रेम और भक्ति चाहिए, मेरे घर में मेरी मम्मी बचपन से ही सुंदरकांड का पाठ करती थी फिर उनकी सेहत ठीक न होने के कारण उनसे नहीं हो पाता था, फिर पापा ने पाठ करना शुरू किया,
हम बड़े हुए तब तक हमें भी उनके चमत्कारों के बारे में नहीं पता था, बस इतना पता था की कुछ भी परेशानी होती तो मम्मी कहती थी उनको याद करना सब ठीक होगा,
करीब 2 महीने से मेरे पापा को सर में दर्द हो रहा था, एक दिन अचानक मेरे पापा के सर का दर्द बढ़ गया और करीब 2 महीने बाद मेरी छोटी दीदी की शादी होने वाली थी, मेरे पापा की तबीयत बिगड़ने लगी,
में उस वक़्त बैंगलोर में पढ़ती थी और कॉलेज से मुझे शादी के 3 दिन पहले शादी अटेंड करने की परमिशन मिली, पापा को सबने कहा कि एक बार आप डॉक्टर को दिखाये पर शादी के चक्कर में वो दिखाते नहीं थे,
उन्हें लगा कि नार्मल पेन है सर में, जब में घर पहुंची और मुझे जब पापा के सर दर्द के बारे में पता चला तो में उन्हें जबरदस्ती हॉस्पिटल ले गयी, सारे टेस्ट करवाये तो पता चला कि उन्हें कैंसर है,
में मम्मी को नहीं बता सकती थी और ना ही जिनकी शादी थी उनको, बस मैंने बड़ी दीदी और जीजाजी को बताया, क्योंकि घर में एक तो शादी थी और दूसरी ऐसी न्यूज़ सब टेंशन में आ जाते,
जब हम हॉस्पिटल गए थे तो डॉक्टर्स ने बताया था की पापा के पास टाइम कम है, में कही न कही घर में सुन्दरकाण्ड का पाठ होने की वजह से श्री हनुमानजी को मानती थी और पहले कभी कभी श्री हनुमान चालीसा भी पढ़ती थी,
डॉक्टर ने मुझे बता दिया था की पापा के पास टाइम नहीं है और कहा था कि 3 दिन में उनके ब्रेन का ऑपरेशन नहीं हुआ तो उनको नहीं बचा सकते क्योंकि tumour बहुत बढ़ चुका था,
में उसी रात चालीसा तो नहीं पर गूगल पर से हनुमानजी का फोटो निकालकर रोने लगी, क्योंकि पापा से बहुत क्लोज थी में, मैंने उनसे कहा की आप तो सबकी रक्षा करते है हनुमानजी, फिर अब ऐसा क्यों?
क्योंकि मेरे पापा के सामने आज तक जो कोई आधी रात को भी मदद के लिए आता था वो कभी मना नहीं करते थे, तो उनके साथ ऐसा क्यों हो रहा है, आप तो किसी को रोते हुए नहीं देख सकते ना फिर क्यों, अगर पापा को कुछ हुआ तो शादी रुक जायेगी और घर में हंगामा होगा, उनका नाम लेते लेते 3 दिन निकल गए शादी हो गयी,
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अब इसके आगे लिखते लिखते मेरी आँखों से आंसू आ रहे है की कैसे पापा को भगवान ने बचाया है, पापा को शादी के बाद ऑपरेशन के लिए तुरंत ले गए, उनका केस इतना क्रिटिकल था की डॉक्टर मना कर रहे थे,
मेरी ट्रेन थी क्योंकि कॉलेज से छुट्टी नहीं मिल रही थी, तो में प्रभु का नाम लेकर अपने कॉलेज के लिए निकल गयी, पापा को बड़े जीजाजी और बड़ी दीदी हर हॉस्पिटल में दिखा रहे थे, में ट्रैन में लगातार श्री हनुमान चालीसा, हनुमानाष्टक और महामृत्युंजय का पाठ कर रही थी कि पापा का केस कोई ले ले,
तभी अचानक पता चला कि लखनऊ में इंडिया के बेस्ट डॉक्टर आये है फॉरेन से और उन्होंने पापा का केस ले लिया, उन्होंने भी कहा की पापा के बचने के 10% चांस है, हम पूरी कोशिश करेंगे बाकी परमात्मा पर छोड़ दे, बाकी डॉक्टर का जो फ़र्ज़ है वो में करता हूँ,
में तब तक अपने कॉलेज पहुँच चुकी थी, जिस दिन ऑपरेशन होना था उस दिन घर जा के मैंने तुरंत सुंदरकांड का पाठ किया, 6 घंटे ऑपरेशन चला, किसी ने घर पे सुबह से कुछ नहीं खाया था और शाम के 6 बज चुके थे,
मैंने सुंदरकांड का पाठ पूरा किया और पता चला कि पापा का ऑपरेशन सक्सेसफुल हो गया है, में आपको बता नहीं सकती कि तबसे लेकर आज तक, मैंने मेरे प्रभु को याद करना नहीं छोड़ा, ऑपरेशन तो हो गया लेकिन डॉक्टर्स ने कहा कि केस क्रिटिकल होने के कारण इनकी मेमोरी जा सकती है,
पर हम श्री हनुमानजी का नाम लेते गए और फिर पापा को होश आने के बाद सब कुछ नार्मल था, पापा ठीक होते गए, अब इससे बड़ा चमत्कार और क्या होगा मेरे जीवन में आज उस बात को 3 साल हो गए है,
लेकिन अब 3 साल बाद पापा फिर बीमार पड़े और कैंसर वापस से रिलैप्स हो गया था, उस वक़्त में ही पापा को हॉस्पिटल ले गयी थी, तब भी डॉक्टर्स ने कहा दोबारा हुआ है कीमोथेरेपी तक अगर ये चल जायेंगे तो बहुत है,
और पापा के इलाज में ऐसे पैसे खत्म हो रहे थे की हमें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे, पर में हर रोज़ श्री हनुमान चालीसा का पाठ करती गयी, हनुमानाष्टक की बढ़ पढ़ती गई और कीमोथेरेपी की ट्रीटमेंट खत्म हो गयी और पापा नार्मल हो गए,
फिर उनको डॉक्टर ने आराम करने घर भेज दिया, पर अचानक पापा को इन्फेक्शन हो गया और पापा का BP low हो गया, तब आधी रात को हॉस्पिटल के ICU में पापा को भर्ती करना पड़ा,
फिर मुझे श्री हनुमानजी याद आये, उस दिन डॉक्टर्स ने कहा था की पापा को कुछ भी हो सकता है, जैसे मैंने ये सुना मैंने 11 बार श्री हनुमान चालीसा और 11 बार हनुमानाष्टक का पाठ किया,
मैंने उस दिन श्री हनुमानजी से रोते रोते चालीसा पढ़ते पढ़ते ही प्राथना की की क्यों इतने कष्ट दे रहे हो उनको जिन्होंने जिंदगी भर दूसरों की मदद की है, मैंने गुस्से से श्री हनुमानजी से कहा की क्यों इतनी परीक्षा ले रहे हो हमारी,
क्योंकि हमारे पास पैसे भी खत्म होने लगे थे, न पैसा बचा न इंसान बचेगा, क्यों हमें इतना परेशान किया खत्म करना ही था तो पहले ही सब खत्म कर देना चाहिए था और रोने लगी,
सुबह उठते ही पता चला कि पापा की तबीयत में सुधार होने लगा है और इन्फेक्शन का कारण भी पता चल गया है, पापा ठीक होने लगे है, फिर दूसरे दिन से तबीयत ठीक होने की वजह से डॉक्टर ने कहा की आप इनको घर ले जा सकते है अब ये बिलकुल ठीक है,
जयेशभाई तब से मैंने कभी भी श्री हनुमान चालीसा पढ़ना नहीं छोड़ा और अब नियम बना लिया है, अब दिन में 7 बार श्री हनुमान चालीसा और 3 बार हनुमानाष्टक का पाठ चाहे मेरी तबीयत ठीक हो या ना हो करती हूँ,
क्योंकि अब मुझे यकीन हो गया है की श्री हनुमानजी को बस साफ़ मन से याद करो वे आपको रोते हुए नहीं देख सकते, बस मन में कोई पाप नहीं होना चाहिए,
मैंने जब जब संकट समय में उन्हें पुकार लगायी है तब तब उन्होंने मेरी सहायता की है, अब तो मैंने उनसे कह दिया है की आप मेरे भाई हो मेरे ईश्वर हो अगर में भूल जाऊ तो मुझे राह दिखाना प्रभु.
Image Courtesy : Shutterstock
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जयेश वाघेला