हनुमानजी की सच्ची घटना
मेरा नाम सोमनाथ चौधुरी है और ने 33 साल का हूँ और में असम का रहनेवाला हूँ, में एक बंगाली ब्राह्मण फैमिली से बिलॉन्ग करता हूँ, आज में आपके साथ अपना हनुमानजी की सच्ची घटना से जुड़ा एक अनुभव शेयर करना चाहता हूँ,
में बचपन से ही भगवन श्री कृष्णा, भगवान शिव और महावीर हनुमानजी को बहुत मानता हूँ, साल 1995 में ही मैंने श्री हनुमान चालीसा कंठस्थ कर लिया था,
में एक सरकारी बैंक में Head Cashier हूँ और असम के ही हैलाकांदी शहर में पोस्टेड हूँ, ये बात साल 2017 के अक्टूबर की है, शरद पूर्णिमा के पिछले दिन यानि 4th अक्टूबर को मेरे साथ एक ऐसी घटना घटी जिसे में जिंदगी भर नहीं भूलूंगा,
पूरे दिन के cash transaction खत्म होने के बाद जब कॅश क्लोज करने का टाइम आया तो देखता हूँ की मेरे कॅश में लगभग 10000 रुपये कम है,
उस दिन के सारे vouchers को दोबारा चेक किया गया, पूरा कॅश फिर से काउंट किया गया जो लगभग एक करोड़ के आस पास था लेकिन 10000 रुपये फिर भी कम थे,
में बहुत दुखी हो गया, बात पैसो की नहीं अपने काम में कॉन्फिडेंस की थी, फिर मैंने अपने अकाउंट से पैसे डालकर कॅश मिलाया और कॅश क्लोज करके में घर के लिए निकल गया,
में रोज़ सिल्चर से हैलाकांदी अप डाउन करता हूँ, मेरे दो colleages भी मेरे साथ जाते है, तो सिल्चर के लिए निकलने के बाद गाडी में मैं पूरा समय यही सोच रहा था की गलती कहाँ हुई,
फिर में घर पहुंचकर खाना खाकर सो गया क्योंकि में मन से बहुत दुखी और निराश था, क्योंकि अगले दिन ही लक्ष्मी पूजा थी और उसके पहले ही मैंने इतने पैसे गवा दिए, हमारे बंगाली कम्युनिटी में शरद पूर्णिमा की रात को सारे घरों में लक्ष्मी पूजा की जाती है,
अगले दिन जब उठा तो मन भारी था की आज लक्ष्मी पूजा है और में कल लक्ष्मी खोके आया हूँ, नहा धोके फिर से में ऑफिस के लिए हैलाकांदी की गाडी में बैठा, गाडी निकलने ही वाली थी की मेरे मन में एक विचार आया की क्यों न मेरे दुख के बारे में जिन्हे में अपना गुरु मानता हूँ उन्हें बताओ,
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फिर मैंने मेरे गुरु को फ़ोन किया, उनको सब जय ठाकुर कह के बुलाते है, वे श्री हनुमानजी के साधक है और वे महावीर चेरा/चोरा के है जो स्थान श्री हनुमानजी के नाम से ही है, महावीर चेरा/चोरा में श्री हनुमानजी का एक बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है,
तो मैंने उनको फ़ोन किया और सारी बात बताई, मेरी बात सुनकर उन्होंने मुझे अगले रविवार को यानि 8th अक्टूबर को ही महावीर चेरा/चोरा आकर पूजा करने को कहा, उनकी बातें सुनकर मन को थोड़ी शांति मिली,
फिर में ऑफिस चला गया और ऑफिस के बाद घर लौट कर लक्ष्मी पूजा में भाग लिया और सच्चे मन से संकल्प लिया की में रविवार को मंदिर जाउँगा और श्री हनुमानजी और भोलेनाथ की पूजा करूँगा, उस मंदिर में श्री हनुमानजी के साथ साथ भोलेनाथ, भैरव बाबा, बगला माँ और दुर्गा माँ भी विराजित है,
अगले दिन फिर ऑफिस गया पूरा दिन कॅश का काम खत्म करके जैसे ही पैसे स्ट्रांग रूम के वाल्ट में रखने ही वाला था की मेरी नज़र वाल्ट के अंदर के कोने में पड़ी और मैंने देखा कि एक दस हज़ार रुपये की गड्डी पड़ी हुई थी जो आज के कॅश के पूरे हिसाब से अलग थी मतलब एक्स्ट्रा थी,
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में ये सोचने लग गया कि पिछले दो दिनों में वाल्ट को इतनी बार देखा, दस हज़ार रुपये खोजे तब तो ये गड्डी नहीं मिली, अब कहा से आयी, ये वाल्ट मेरे अलावा न कोई खोल सकता है और ना किसीको स्ट्रांग रूम में आने की आज्ञा है,
में समझ गया की ये कुछ अलौकिक घटित हुआ है मेरे साथ, श्री हनुमानजी ने मुझे मेरा खोया हुआ धन लौटा दिया है, में ख़ुशी से पागल सा होने लगा था, ख़ुशी पैसो की नहीं ईश्वरीय कृपा मिलने की थी,
मैंने किसी तरह खुद को संभाला और घर लौटा, फिर मैंने मेरे गुरूजी को फ़ोन किया और सारी बात बताई, वे भी बहुत खुश हुए और मुझे पूजा के संकल्प को पूरा करने को कहा,
में रविवार के दिन वहाँ गया और बहुत ख़ुशी ख़ुशी पूजा की, बहुत सुकून मिला मुझे, में बस आखिर में ये ही कहना चाहता हूँ की में ये मानता हूँ कि बजरंगबली अपने भक्तों का कोई भी दुःख नहीं देख सकते बस उन्हें बुलाने की देर है,
में आपके और आपके चैनल के माध्यम से सभी भक्तों से यही कहूँगा की अगर सच्चे मन से उन्हें पुकारे तो प्रभु हमारी हर इच्छा पूरी करते है, भगवान सभी को खुश रखे,
जयेशभाई आपको भी प्रभु बहुत खुश रखे, क्योंकि आप बजरंगबली के भक्तों की सच्ची घटनाएं बताकर सभी दुखी लोगों को संजीवनी दे रहे है.
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धन्यवाद 🙂
जयेश वाघेला
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