हनुमानजी की अटूट भक्ति से सब कुछ पाया इस महिला MBBS डॉक्टर ने

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Hanumanji ki Kahani in Hindi

हनुमानजी की अटूट भक्ति से सब कुछ पाया इस महिला MBBS डॉक्टर ने – हनुमानजी का अद्भुत चमत्कार – Hanumanji ki Kahani in Hindi

मेरा नाम डॉ. रश्मि है और में आसाम की रहने वाली हूँ, में आपका चैनल रेगुलरली देखती हूँ और आज मैंने ये तय किया की में भी मेरे साथ घटित हुए दो महत्त्वपूर्ण अनुभव आपको और आपके चैनल से जुड़े हुए सभी लोगों के साथ शेयर करना चाहती हूँ, Hanumanji ki Kahani in Hindi

में शिवजी और हनुमानजी दोनों की भक्त हूँ, श्री हनुमानजी तो भगवान शिव के ही रुद्रावतार है, दरहसल मेरे साथ बहुत बार ऐसा कुछ हुआ है जिसमें श्री हनुमान जी की उपस्थिति का अनुभव मैं करती आई हूँ,

पहले में बहुत डरपोक थी शाम होने के बाद में अकेले घर के अंदर रहने तक को डरती थी, तब मैंने अपनी मेडिकल की पढ़ाई शुरू ही की थी की मेरी ही एक क्लासमेट फ्रेंड ने मुझे सलाह दी कि तू श्री हनुमान चालीसा पढ़ना शुरू कर, तेरा सारा डर खत्म हो जायेगा, नहीं तो ऐसे तो तू हॉस्टल में या हॉस्पिटल में रात को रुकने के लिए भी डरेगी,

मुझे उस समय श्री हनुमान चालीसा के बारे में बिलकुल भी पता नहीं था तो मैंने अपने फ़ोन में ही श्री हनुमान चालीसा डाउनलोड कर के पूजा करते समय पढ़ना शुरू कर दिया और इसी तरह मुझे श्री हनुमान चालीसा याद भी हो गयी,

उसके कुछ ही दिनों बाद मेरा डर तो मनो कही भाग ही गया, में देर रात को लाइब्रेरी से या कही और जगह से भी बाहर अकेले आने या जाने तक को नहीं डरती थी, मुझे ऐसा प्रतीत होता था की मेरे साथ श्री हनुमानजी है, तो मुझे किसी से भी डरने की कोई आवश्यकता नहीं है,

Hanumanji ki Kahani in Hindi

इसके अलावा मेरा पढाई में भी कॉन्फिडेंस बढ़ गया था, यहाँ में आप लोगो को एक बात बता दू की मैंने अपनी पढाई 12th तक Assamese Medium में ही की है, तो उसके तुरंत बाद ही मैंने जब मेडिकल साइंस में अपनी स्टडी स्टार्ट की तो मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था,

क्योंकि सब कुछ इंग्लिश में था जिसकी वजह से मुझे बहुत प्रॉब्लम हो रही थी और मेरा कॉन्फिडेंस भी लो हो रहा था और डरने लगी थी की में फर्स्ट सेमेस्टर में ही कही फ़ैल न हो जाऊ,

लेकिन जब मैंने श्री हनुमान चालीसा पढ़ना शुरू किया उसके बाद जब भी ऐसा कॉन्फिडेंस लो फील करती तो मेरे ध्यान में यही एक ही चीज़ याद आती थी की “बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार, बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश बिकार”

और कुछ ही दिनों के अंदर मैंने सारे  इंग्लिश मेडिकल टर्म्स को कवर कर लिया था और मुझे पढाई में और प्रोफेसर्स के लेक्टर्स को समझने में भी बिलकुल भी प्रॉब्लम कभी नहीं हुई, मैंने फर्स्ट सेमेस्टर में सारे सब्जेक्ट्स अच्छे मार्क्स से पास कर लिए,

मेरे सारे करीबी दोस्त इस बात से चौंक गए थे और मेरे करीबी Classmates और अन्य लोगो को तो कभी इस बात पे विश्वास ही नहीं होता है की क्या सच में मैं Assamese Medium से आयी हूँ, क्योंकि वो लोग मुझे बहुत अच्छी तरह से इंग्लिश स्पीकिंग करते हुए और Written Skills देखते थे, तो उन लोगों को इस बात पर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल होता था,

आप पढ़ रहे है: Hanumanji ki Kahani in Hindi / हनुमानजी का चमत्कार

और मेरी स्टूडेंट लाइफ के दौरान मेरे बहुत सारे यूरोपियन फ्रेंड्स भी थे उन लोगो में से भी बहुत सारे फ्रेंड्स मुझे कॉम्प्लिमेंट्स देते थे की उन लोगो को मेरे दूसरे फ्रेंड्स से ज़्यादा मेरी इंग्लिश एक्सेंट बहुत अच्छी लगती थी,

तो ऐसे ही मेरी मेडिकल कॉलेज लाइफ में श्री हनुमानजी ने मेरा हमेशा साथ दिया है, मेरे जैसी एक अज्ञान और दुर्बल स्टूडेंट को सद्बुद्धि देने के लिए में उनकी हमेशा आभारी रहूंगी,

मेरा दूसरा बड़ा अनुभव हाल ही में घटित हुआ है, मेरे घर की आर्थिक स्थिति बिलकुल ठीक नहीं थी जिसकी वजह से मेरे पेरेंट्स मेरी MBBS की पढाई का खर्चा उठाने के लिए असमर्थ थे,

तो मेरे माता पिता ने मकान की ज़मीन हमारे फॅमिली के एक जान पहचान के आदमी के पास गिरवी रख दी और उस आदमी ने भी उस वक़्त कहा था की जब तुम्हारी बेटी की पढ़ाई खत्म कर के जॉब में लग जाये तो तुम लोग मुझे मेरा पैसा लौटा देना नहीं तो ये ज़मीन दे देना,

और मेरे माता पिता ने गांव की थोड़ी बहुत जो खेत की जमीन थी वो भी बैंक में लैंड मॉर्गेज करके मेरी पढाई के लिए एक एजुकेशन लोन जैसे तैसे सैंक्शन करवाया और इसी तरह से मुझे मेरी MBBS की पढाई करने के लिए भेजा था,

इसके लिए में अपने माता पिता के लिए हमेशा शुक्रगुजार रहूंगी क्योंकि उन्होंने मेरी पढाई के लिए अपना सब कुछ बिना सोचे लूटा दिया, में बस ग्रेजुएट होने वाली ही थी की मेरे ग्रेजुएशन एग्जाम के पहले ही बैंक वालों ने घर आकर परेशान करना शुरू कर दिया था कि इतने साल हो गए पैसे वापस करो,

लेकिन मेरे माता पिता ने मेरे ऊपर सब कुछ न्योछावर कर दिया था इसी उम्मीद में कि हमारी बेटी कुछ बन जाये और अपने पैरों पर खड़ी हो जाये और हमारे दुखो के दिन भी खत्म हो जाये, बड़ी मुश्किल से जैसे तैसे गुज़ारा हो पाता इसलिए वे बैंक के लोन रीपेमेंट करने में बिलकुल असमर्थ थे,

Loan Debts

इसी दौरान ही मेरे माता पिता ने जिस आदमी के पास अपनी ज़मीन गिरवी रखी थी उसने भी मेरे माता पिता को धोखा देकर चुप चाप वो ज़मीन दूसरे एक आदमी के पास  बड़ी रकम में बेच दी और मेरे माता पिता के ऊपर बार बार प्रेशर डालना शुरू कर दिया की मुझे उस जमीन में कुछ घर बनवाना है तो आप लोग कोई दूसरा घर रेंट में ढूंढ लो और ये घर जल्द से जल्द खाली कर दो,

तब तक में भी ग्रेजुएट होकर अपनी पढाई खत्म कर के घर वापिस आ गयी तो मैंने भी उस आदमी से बात की मैंने उन्हें कहा की मेरे माता पिता सीधे साधे लोग है, हमारे बुरे वक़्त का फायदा मत उठाओ, आप अपनी ज़बान से मुकर नहीं सकते हो, आपके और मेरे माता पिता के बीच ये ही तय हुआ था कि मेरी नौकरी नहीं लगने तक सबलोग इसी घर में रहेंगे,

अभी आपने धोखा दे ही दिया है तो मेरी भी एक बात सुन लीजिये मेरी नौकरी जब तक नहीं लगती तब तक मेरे माता पिता और मेरी फॅमिली का कोई भी सदस्य कहीं नहीं जायेगा, जैसे ही मुझे नौकरी मिल जाती है उसके बाद में खुद मेरे माता पिता को अपने साथ ले जाऊंगी और आपको ये ज़मीन ही दे दूंगी,

उधर बैंक में भी मैंने जा के उन लोगो को कह दिया में अभी कहा से लोन रीपेमेंट करू? आप लोगो को में ज़रूर पैसा लौटा दूँगी, बस मुझे उसके लिए कुछ समय दीजिये ताकि में कही हॉस्पिटल में नौकरी शुरू कर दूँ,

लेकिन बैंकवाले मुझे और मेरे माता पिता को बोलने लगे कि अगर आप लोग लोन रीपेमेंट में और डिले करेंगे तो आप लोगो का ये लोन केस सिविल कोर्ट में चले जाएगा, मुझे उस वक़्त उन लोगो की बात सुनकर कोई डर या दुःख नहीं हुआ था, मुझे सिर्फ इसी बात का दुःख था की मेरे माता पिता दुःखी थे,

मैंने जॉब ढूँढना शुरू कर दिया, इंटरव्यू भी दिया लेकिन इंटरव्यू का रिजल्ट आने में भी थोड़ा समय लग रहा था और दूसरी तरफ बैंक वालो का प्रेशर, मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था की में क्या करूँ,

आखिर कौन थे वो जिन्होंने आधी रात को इस भक्त की सहायता की – हनुमानजी के चमत्कार की सच्ची घटना

में अंदर रोती थी मगर अपने माता पिता के सामने में हमेशा स्ट्रांग दिखती थी, ताकि वो लोग मुझे देख कर और न टूट जाये, में हर रोज़ श्री हनुमान चालीसा पढ़ती थी और मुझे मेरे बजरंगबलि पर पूरा भरोसा था की हमारे ये दुःख भरे दिन जल्द ही बीतने वाले है,

इसी बीच मैंने जाना कि जब ज़्यादा परेशानी बढ़ जाये तो हमें सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए, इससे हमें भक्ति और दुखों से लड़ने की शक्ति और श्री राम और श्री हनुमानजी की कृपा प्राप्त होती है और सारी मनोकामना पूरी होती है, अगर भक्ति भाव और श्रद्धा से पाठ किया जाये तो,

मैंने सुंदरकांड का हर रोज़ 11 दोहो तक पाठ करना शुरू कर दिया और मेरे प्रभु के सामने में ये ही कहती थी कि हे प्रभु आप तो अंतरयामि हो  जगत के स्वामी हो आप से में और क्या कहूँ, प्रभु मुझे इस समस्या से आप ही बाहर निकल सकते हो, आपके शरण के अलावा में कहा जाऊ क्या करूँ कुछ भी समझ नहीं आ रहा है, प्रभु मुझे कोई मार्ग दिखाए,

और जिस दिन मैंने सुंदरकांड का आखरी दोहा पढ़कर के पूरे सुंदरकांड के पाठ को पूर्ण किया, उसी दिन दोपहर को एक सिविल हॉस्पिटल से एक मेडिकल इंचार्ज और इंस्पेक्टर डॉक्टर का मुझे कॉल आया की डॉ. रश्मि आपने हमारे हॉस्पिटल के जो मेडिकल ऑफिसर के पोस्ट के लिए अप्लाई किया था कल दोपहर एक बजे आपका इंटरव्यू है और सारे डाक्यूमेंट्स, मार्क शीट्स आप अपने साथ लेकर आइएगा,

अगले दिन में सुबह 4 बजे उठकर नहा धोकर के श्री हनुमानजी की पूजा की और सुंदरकांड का पाठ भी किया और करीब 6 बजे मैंने बस पकड़ ली क्योंकि मेरा इंटरव्यू का लोकेशन एक दूसरे डिस्ट्रिक्ट में था,

पूरे रास्ते में बस श्री हनुमानजी का ध्यान करती गयी और उनको मेरा साथ देने के लिए प्राथना की तब मुझे ऐसा महसूस हो रहा था की मुझे इंटरव्यू में जो भी पूँछा जायेगा मुझे सब कुछ आता है और मेरे बजरंगबली का हाथ मेरे सर पर है तो मुझे डरने की कोई ज़रूरत नहीं है, Hanumanji ki Kahani in Hindi

इसी तरह पूरे कॉन्फिडेंस से मैंने अपना इंटरव्यू दिया, इंटरव्यू के बाद उस सीनियर डॉक्टर ने मुझे पुछा की तुम कब से ज्वाइन कर सकते हो, तो मैंने कहा की अगर में सेलेक्ट हो गयी तो जल्द से जल्द ज्वाइन कर लुंगी,

तब उन्होंने कहा अरे तुम तो सेलेक्ट हो गयी हो बस अगले महीने की पहली तारीख से ज्वाइन कर लो और ज्वाइन करने से पहले तुम हॉस्पिटल ने दिया हुआ तुम्हारा डॉक्टर बंगलो और अपना हॉस्पिटल भी एक बार देख के आना क्योंकि इसी हॉस्पिटल के मेडिकल ऑफिसर बन गए हो तुम अभी,

यह सुनकर मुझे समझ में नहीं आ रहा था की में क्या कहूँ और कैसे अपने प्रभु को शुक्रिया अदा करूँ, इंटरव्यू रूम में मैंने बहुत मुश्किल से अपने आंसू रोके मगर बाहर आते ही मेरे आँखों से आँसू बहने लगे यही सोच कर के कि प्रभु कितने दयालु है,

प्रभु अपने भक्त के दुःख दर्द को ज़्यादा देर तक नहीं देख सकते और मदद करने के लिए हमेशा व्याकुल रहते है, अब मैंने उस हॉस्पिटल में मेडिकल ऑफिसर के पोस्ट पर जॉब जॉइन कर ली है और मेरे प्रभु की कृपा से सब कुछ ठीक चल रहा है,

में सबको यही कहना चाहती हूँ की अगर कोई सच्ची श्रद्धा भक्ति से प्रभु को याद करते है तो वे ज़रूर सुनते है, उनपे हमेशा भरोसा रखना चाहिए और ज़िन्दगी में हिम्मत मत हारे, वे आपको राह जरूर दिखाएंगे, बस आखिर में यही कहना चाहती हूँ की मेरे प्रभु आप सब पर कृपा बनाये रखे और सबको खुश रखे.

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धन्यवाद 🙂

जयेश वाघेला

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