श्री संकटमोचन हनुमानजी (वाराणसी) का रोंगटे खड़े कर देने वाला चमत्कार | Sankat Mochan Hanuman Mandir
मेरा नाम उमा है और में पंजाब के पटियाला शहर से हूँ, मेरी माँ मुझे छोड़कर 6 साल की उम्र में ही भगवान के पास चली गयी थी, Sankat Mochan Hanuman Mandir Chamatkar in Hindi
में अकेले रहने में काफी डरती थी, तब मेरे पापा ने कहा कि जब भी युम्हे डर लगे तो तुम श्री हनुमानजी को याद किया करो, तब से में जब भी डरती श्री हनुमानजी को याद करती, इससे मुझे काफी राहत मिलने लगी,
समय बीतता गया में लगभग आठ साल की थी, मेरे ताऊजी जो यूपी के वाराणसी में रहते थे उनके घर से उनकी बड़ी बेटी की शादी का बुलावा आया था,
में अपने बड़े भाई और भाभी के साथ वाराणसी जाने को तैयार को गई, मेरे पापा हमारे साथ नहीं आये थे वे घर पर ही रह गए, जब हम चलने लगे तो पापा ने कहा इसका ध्यान रखना,
मेरी चचेरी बहन की शादी ख़ुशी ख़ुशी हो गयी, हम लोग वाराणसी घूमने के लिए कुछ दिन और रुक गए थे और रिश्तेदार के साथ हम सभी गंगा स्नान, काशी विश्वनाथ भी गए थे,
वहां दर्शन के बाद हम लोग श्री संकटमोचन हनुमानजी के मंदिर गए, वहां दर्शन के बाद जब हम लौटने लगे, वहां सजी आकर्षित दुकानों को देखकर शाम के समय मेरा ध्यान पलट गया,
और जब देखा तो वहां मेरे परिवार का कोई न दिखा, किसी को न देखकर मेरे हाथ पैर कांपने लगे, तभी मुझे मेरा पीछा करते दो आदमी दिखे, में जय बजरंगबली, जय हनुमानजी मुझे बचाओ मन में करने लगी,
तभी एक रिक्शेवाला आया और बोला क्या हुआ बेटा? मैंने अपनी कहानी बताई की में ताऊजी के घर आयी हूँ और मुझे घर का पता नहीं मालूम, सिर्फ अपने ताऊजी का नाम छोटेलाल पता है और उनके घर के सामने वाले घर के बहार कुछ चित्र बने है, बाकि इससे ज्यादा मुझे कुछ नहीं मालूम,
उन्होंने कहा घभराओ नहीं बेटा तुम्हारा घर ढूंढते है, मेरे पास चारा न था सो में रिक्शा में बैठ गयी, पर यह क्या दूसरे ही पल में अपने घर के पास थी,
लॉकडाउन में आ गया इस भक्त के पूरे परिवार पर घोर संकट
सामने वाले घर का चित्र दिखाई दे रहा था, बहार बरामदे में मेरे ताऊजी और ताईजी दिखाई दे रहे थे, मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था, मुझे देखते ही ताउजी ने पुछा अकेले कैसे? बाकि लोग कहा है,
मैंने कहा पहले सामने वाले रिक्शा वाले को पैसे दे दीजिये, ताउजी भाग कर गली में गए तो वहाँ दूर दूर तक कोई नहीं था, में भी बहार आयी पर रिक्शावाला नहीं था,
मैंने रोते हुए ताउजी को सारी बातें बताई लग भग तीन घंटे बाद मेरे भैया भाभी और अन्य रिश्तेदार लौटे और सभी परेशान थे, लेकिन मुझे देखते ही बोले यह तो घर में है,
तब ताउजी ने कहा इसे आये तो लगभग तीन घंटे हो चुके है, भगवान का शुक्र है नहीं तो पता नहीं क्या होता, किसी ने कहा एक बात समझ नहीं आयी तीन घंटे पहले यह आ भी गयी, जब कि मंदिर काफी दूर है लगभग तीन घंटे तो हमे लग गए आने में, ये सुनकर सभी चौंक गए यह कैसे हुआ सभी हैरान थे,
रिक्शेवाला नहीं दिखाई दिया न ही पैसे लिए और न ही घर का पता था, सभी ने कहा यह तो पवनपुत्र की ही कृपा होगी, भला उनके सिवा और कोई हो ही नहीं सकता,
ऐसा कई बार हुआ है आज में लगभग पचपन साल की हो गयी हूँ, में जब भी बजरंगबली को याद करती हूँ, वे मुझ पर पूरी दया करते है.
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धन्यवाद 🙂
जयेश वाघेला