Shri Hanuman ji Chamatkar in Hindi
ये सच्ची घटना देखने के बाद बजरंगबली के प्रति आपका विश्वास 100 गुना बढ़ जायेगा – हनुमान जी का चमत्कार
मेरा नाम अरूपज्योति चौधुरी हैं और में गुवाहाटी का रहने बाला हूँ, ये बात 2013 की है, उन दिनों में एक लड़की से प्यार करता था जिसका घर मेरे घर से करीब 30 km की दुरी पे था, Shri Hanuman ji Chamatkar
में उस लड़की से बहुत प्यार करता था लेकिन मेरे पास अपना घर नहीं था, में अपनी माँ और बहन के साथ किराये के मकान में रहता था और मेरे पापा दूसरी जगह रहते थे क्योंकि मेरी माँ के साथ वे कोई रिश्ता नहीं रखना चाहते थे,
मेरी गर्लफ्रेंड को कभी भी पता नहीं था की मेरे पास खुद का घर नहीं है, वो भी मुझसे बहुत प्यार करती थी और में इसी वजह से बहुत टेंशन में था की जब उसको और उसकी फॅमिली को पता चलेगा कि मेरे पास खुद का घर नहीं है तो उससे मेरी शादी नहीं हो पायेगी,
में हमेशा मन ही मन बहुत उदास रहता था, मुझे दिन रात बस वो ही चिंता सताए जा रही थी, में रात को सो नहीं पाता था बहुत रोता था, घर में ये बात मेरी माँ को मालूम थी लेकिन वो भी बेबस थी,
तब मैंने एक दिन देखा की मेरी छोटी बहन हर रोज़ श्री हनुमान चालीसा का पाठ करती थी, तब अचानक मेरे मन में भी ख्याल आया की में भी श्री हनुमान चालीसा का पाठ करू, मैंने अगले दिन से ही श्री हनुमान चालीसा का पाठ करना शुरू कर दिया, लेकिन फिर भी उम्मीद की किरण नहीं जागी,
में हर रोज़ सुबह श्री हनुमान चालीसा का पाठ करके निकलता था, एक दिन मेरी गर्लफ्रेंड के साथ मेरा बहुत झगड़ा हुआ और उस दिन में बहुत टूट गया, उस दिन मेरी ऑफिस की छुट्टी थी और उस दिन मैंने दोपहर के 2 बजे से लगातार बिना रुके श्री हनुमान चालीसा का 100 बार पाठ किया,
उसके 3 दिन बाद मैं अपने ऑफिस जाने के लिए बस में सफर कर रहा था, जिस बस में मैं था उस बस में एक बजरंगबली का फोटो लगा हुआ था और में फोटो को ध्यान से देखने लगा कि तभी मेरा ध्यान अचानक बस के बहार गया और अचानक मैंने मेरे पापा को देखा वे सड़क पार कर कही जा रहे थे,
तभी तुरंत मैंने बस से छलांग लगायी और उतर गया, मैंने अपने पापा का पीछा किया और उनके पीछे पीछे जाने लगा, वे एक बैंक के अंदर गए में भी उनके पीछे बैंक के अंदर गया,
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पहले तो में उन्हें दूर से ही देखता रहा क्योंकि मेरे अंदर उनके पास जाने का साहस नहीं था, क्योंकि मैंने पहले भी कई बार उनका दिल दुखाया था, लेकिन इस बार मैंने मेरे सच्चे प्यार के खातिर उनके पास जाना बहुत ज़रूरी समझा,
दिल में थोड़ी भी उम्मीद नहीं थी फिर भी श्री हनुमानजी का नाम स्मरण करके उनके पास गया, में मन ही मन श्री हनुमानजी का नाम निरन्तर जप रहा था, जब में उनके पास पंहुचा तो वे भी मुझे अचानक देख चौंक गए और मुझे अपने पास बैठने को कहा,
तब मैंने उनको अपने दिल की बात बताई कि पापा प्लीज एक घर दिला दो, क्योंकि में जानता था की पापा के पास पैसे थे पुराने घर के जो उन्होंने माँ के साथ झगड़ा करके बेचा था उसका पैसा उन्हीं के पास था,
तब पापा ने कहा की मैं अभी गुवाहाटी में कुछ दिन के लिए हूँ में तुम्हे फ़ोन करूँगा और वो कहके उन्होंने मुझे अपना नंबर देके भेज दिया, ये सुनकर मैं बहुत निराश हो गया था, मुझे लगा की पापा फ़ोन नहीं करेंगे और मैं रोके अपने घर चला गया,
घर पर मैंने ये बात किसी को नहीं बताई की मुझे पापा मिले थे, अगले दिन सुबह मैंने नहा के फिर से सच्चे मन से मेरे प्रभु का पाठ शुरू कर दिया और मन ही मन प्रभु को बोलता रहा कि मुझे इस संकट से बाहर निकलो,
में बस पूरा दिन प्रभु का स्मरण करता रहा, तभी अचानक उसी रात मुझे एक सपना आया, सपने में मुझे बड़े बड़े पर्वत दिखे, इतने विशाल पर्वत थे मेरे चारो ओर की मुझे डर लगने लगा था,
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उसी वक़्त सपने में एक विशाल व्यक्ति प्रकट हुए और वे उन पर्वतो से भी विशाल थे, मैंने देखा कि वे कोई और नहीं मेरे प्रभु बजरंगबली थे, मैंने तुरंत उन्हें प्रणाम किया और मेरा सपना टूट गया,
जब मेरी आँख खुली तो सुबह के 7 बजे थे और मेरे फ़ोन पे 10 मिस्ड कॉल्स थे मेरे पापा के, मैंने तुरंत उन्हें कॉल किया और उन्होंने मुझे एक जगह आने को कहा, में बिना नहाये ही तुरंत घर से निकला,
रास्ते में भी में मेरे प्रभु का ही स्मरण कर रहा था, मेरे पापा ने मुझे एक लॉज में बुलाया था, जब में वहा पंहुचा तो पापा मुझे एक बिल्डर के पास ले गए और उससे मिलाया,
बिल्डर ने मुझे 1 BHK के कुछ फ्लैट दिखाए क्योंकि पापा के पास लिमिटेड पैसे थे, मैंने एक फ्लैट पसंद किया, शाम को पापा ने उस फ्लैट का 13.5 लाख रुपये का खुद पेमेंट किया और अगले दिन सुबह 11 बजे मुझे उस फ्लैट की चाबी सौंपी,
पापा फिर अपने जगह जाने को निकल गए, मैंने पापा को बहुत रोकने की कोशिश की लेकिन वे कहने लगे कि उन्हें अकेले ही रहने की आदत हो गयी है, क्योंकि मैं चाहता था की पापा भी हमारे साथ रहे लेकिन वे नहीं माने और वापस चले गए,
उसके बाद मेरा जो विश्वास था मेरे प्रभु के प्रति वो अब 100 गुना बढ़ गया, मेरे प्रभु ने मुझे ये भी ज्ञात कराया की इस घोर कलयुग में जो कोई सच्चे मन से प्रभु का स्मरण करेगा प्रभु सदा उसकी रक्षा करेंगे,
ये जो परिणाम मिला मुझे वो 4 महीने के अंदर ही मिला था, मैं 4 महीने में एक ज़िंदा लाश की तरह था, फिर भी मैंने मेरे प्रभु की भक्ति कभी कम नहीं की,
यह चमत्कार कहो या मेरे प्रभु की कृपा ये मैंने खुद अनुभव किया है, अब मेरी शादी भी हो गयी है उसी लड़की से जिससे में सच्चा प्यार करता था और मेरी एक 9 महीने की बच्ची भी है,
ये सब मेरे प्रभु की कृपा से ही हुआ है, बस एक इच्छा और है की मेरे पापा हमारे साथ रहे और मुझे पूरा विश्वास है मेरे बजरंगबलि पे कि वे मेरी ये इच्छा भी ज़रूर पूर्ण करेंगे.
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धन्यवाद 🙂
जयेश वाघेला
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