Kashtbhanjan Hanumanji Chamatkar Ghaludi Dham
अब भी समय है नहीं तो होगी ऐसी हालत जिससे बाहर निकलना होगा मुश्किल – कष्टभंजनदेव चमत्कार घलुडी धाम
मैं अपना नाम गुप्त रखना चाहता हूँ, मैं गुजरात के सूरत का रहने वाला हूँ और मेरी उम्र 22 साल है, जयेशभाई आशा करता हूँ की आप ठीक और खुश होंगे, Kashtbhanjan Hanumanji Chamatkar Ghaludi Dham
आपने और आपकी चैनल ने कितने सारे लोगो की ज़िन्दगी बदल दी होगी और आशा करता हूँ की और भी कई लोगो की जिंदगी बदले, ये नेक काम आप करते रहो,
मेरी CA की फाइनल एक्साम्स मई 2020 में थी और मेरे साथ नवम्बर 2019 की शुरुवात से ही कुछ अजीब होना शुरू हो गया, मुझे ऐसा लगता जैसे ज़्यादा दिमाग़ नहीं लगाना चाहिए वरना ब्रेन ट्यूमर हो सकता है,
मुझे नहीं पता की ये क्या था, किसी नेगेटिव एनर्जी का प्रभाव या कुछ और, थोड़े दिनों बाद इसका असर बढ़ने लगा,
उदाहरण के तोर पर: 1) जब किसी इंसान को काम करते देखु तो ऐसा लगता था की अगर मैं वो काम करूं तो मेरा दिमाग उसमे इस्तेमाल होगा और मुझे ब्रेन ट्यूमर हो जायेगा,
2) किसी बच्चे को खेलते हुए देखु तो भी ऐसा लगता था की अगर मैं खेल रहा होता उसकी जगह तो मुझे मेरा दिमाग इस्तेमाल करना पड़ता और उससे मुझे ब्रेन ट्यूमर हो सकता है,
3) अगर किसी बूढ़े इंसान को देखु तो ऐसा लगता था कि इस व्यक्ति को ट्यूमर क्यों नहीं हुआ और जब मैं उसकी उम्र का होऊँगा तब मुझे ट्यूमर होगा की नहीं…ऐसे कई उदाहरण है,
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ऐसी एक मानसिक बीमारी हो गयी थी मुझे और इस वजह से मैं किसी से मिलने भी नहीं जाता था, मैं अपने रूम में ही कैद रहता था, रूम में भी कोई एक्टिविटी नहीं करता था, अगर एक्टिविटी करूं तो ब्रेन ट्यूमर वाला ख्याल आ जाता था,
मैंने ये बात किसी को नहीं बताई थी यहाँ तक की मेरे माता पिता को भी नहीं, क्योंकि मुझे डर लग रहा था की जो किसी को पता चला तो वो सोचेंगे की इतनी सारी पढ़ाई करनी ही नहीं चाहिए कि इंसान पागल हो जाये और मेरे माता पिता को लोगो का सुनना पड़ता वो अलग, Hanumanji ki Sacchi Kahani
मैं अपने रूम में घंटो तक कैद रहता, एक कोने में बैठा रहता, किसी भी प्रकार का चलना फिरना नहीं करता, कभी रोने भी लगता था, एग्जाम का भी टेंशन था सर पे, ऐसे कई दिन बीत गए की मैं घंटों तक एक रूम में बैठा रहता और रोता था,
मुझे समझ ही नहीं आ रहा था की ये हो क्या रहा है मेरे साथ, किसी को बता भी नहीं सकता था, अपने मन में वो बात को दबाकर रोता रहता था, मेरे माता पिता को लगता कि मैं पढ़ाई कर रहा हूँ पर असल में हकीकत कुछ और थी,
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ऐसे ही मेरे 3 महीने निकल गए, फिर मुझे लगा की मुझे मेरे माता पिता को बताना चाहिए वरना जो ये लंबा चला तो मैं पागल भी हो सकता हूँ,
मैंने जनवरी 2020 के आखिर में अपने माता पिता को सारी बात बताई कि मेरे साथ ये सब हो रहा है पिछले 3 महीने से, ये सुनकर मेरी माँ रो पड़ी, फिर अगली सुबह मेरे पिताजी मुझे साइकेट्रिस्ट के पास लेकर गए,
डॉक्टर ने दवाइयां लिख दी, पर मेरी माँ की इच्छा थी की मैं घलुडी नाम की जगह है जो सूरत के पास ही है, वहां श्री हनुमानजी का मंदिर है जहाँ श्री सारंगपुर हनुमानजी की मूर्ति स्थापित है, वहा जाकर दादा के दर्शन करके आऊ,
दवाई से मुझे थोड़ा ठीक लगा, फिर मैं और मेरे पिताजी फेब्रुअरी 2020 की शुरुवात में घलुडी गए, मैं पहले श्री हनुमानजी को नहीं मानता था, फिर भी जयेशभाई आप विश्वास नहीं करोगे कि जैसे ही मैंने मन्दिर के अन्दर पैर रखा तो न जाने क्यों मेरी आंखों में से आंसू आ गए, Ghaludi Dham Hanumanji Mandir
मंदिर में वहॉ स्वामीजी ने विधि बताई की ये ये करना है और श्री हनुमान चालीसा का पाठ करने को कहा और गौमूत्र पीने को कहा,
जयेशभाई मैं एक पढ़ा लिखा और बहुत ही प्रैक्टिकल इंसान हूँ इसलिए इन सब बातों पर विश्वास करना मेरे लिए थोड़ा मुश्किल था, पर माँ की इच्छा की वजह से मैंने वो किया,
स्वामी जी के कहने पर मैंने श्री हनुमान चालीसा का पाठ करना शुरू कर दिया, मैंने दवाई तो 6 महीने तक ली, लेकिन मुझे असली फर्क महसूस हुआ था श्री हनुमान चालीसा का पाठ करने से,
तभी मैंने निश्चय किया की मैं हर रोज़ 2 बार यानी सुबह शाम श्री हनुमान चालीसा का पाठ करूँगा, मुझे आज भी लगता है की मैं जिस तकलीफ से गुज़र रहा था वो मेरे हनुमान दादा की वजह से दूर हुई है,
मैं आज भी श्री हनुमान चालीसा का पाठ करता हूँ और ज़िन्दगी भर करता रहूँगा और इसके बाद मैंने जितने भी संकल्प लिए और प्रार्थना करके दादा को बताये, वो सारे संकल्प दादा ने पूरे किये है,
मेरे प्रभु श्री हनुमानजी का आभार मानने के लिए मैं घलुडी भी गया और हाल ही में सारंगपुर भी गया था, आज मेरे प्रभु की कृपा से मैं मेंटली और फिजिकली ठीक हूँ और स्वस्थ हूँ,
मैं आज के पढ़े लिखे और एडुकेटेड लोगो को ये सन्देश देना चाहता हूँ की जीवन में इतने भी प्रैक्टिकल न बन जाये की हमारे जीवन में प्रभु भक्ति का महत्व ही न रहे, हम जीवन में कितने भी व्यस्त क्यों न हो पर हर रोज़ हमें थोड़ा समय प्रभु भक्ति के लिए निकालना ज़रूरी है.
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धन्यवाद 🙂
जयेश वाघेला