Hanumanji Chamatkar Story in Hindi
एक खतरनाक बीमारी – विदेश में बैठकर की अपने पिता के लिए प्रार्थना – हनुमानजी का अद्भुत चमत्कार
मेरा नाम परीजात दास पंचोली है और मैं लंदन की रहने वाली हूँ, मैंने पहले भी आपको मेरा अनुभव भेजा था जो आपने अपनी वीडियो में 21st जुलाई 2020 को शेयर किया, उसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद जयेशभाई, Hanumanji Chamatkar Story in Hindi
मुझे पता नहीं था कि इतनी जल्दी फिर से में श्री हनुमानजी की कृपा को महसूस करूंगी और उनके चमत्कार से जुड़ा अनुभव आपको फिर से भेजूँगी, लेकिन क्या करे हमारे प्रभु के चमत्कार और कृपा के आगे हम क्या कर सकते है,
मैंने पहले जो अनुभव भेजा था उसमे मैंने अपने बारे में ज़्यादा कुछ नहीं बताया था जो आज मैं बताना चाहती हूँ, मैं एक Microbiologist हूँ, Ph.D. in Medical Microbiology और लंदन आने से पहले मैं कोलकाता में अपने फ्लैट में मेरे पिताजी के साथ रहती थी,
20th मार्च 2020 लॉकडाउन शुरू होने के एक हफ्ते पहले तक मैं रेगुलर यूनिवर्सिटी के लैब में अपना रिसर्च का काम कर रही थी, मैं बचपन से ही श्री हनुमानजी की कृपा और मेरे पिताजी के इन्स्पीरेशन से मैं पढ़ाई में फोकस बहुत करती थी और करियर conscious हूँ,
एक लौती संतान होने की वजह से मैं मेरे पिताजी से बहुत ही करीब हूँ, उन्होंने मेरी पढ़ाई के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया, मुझे सब कुछ दिया और मेरा ख्याल भी बहुत रखते थे,
पर जब आप मेरा पहला अनुभव देखोगे तो आपको पता चलेगा कि मैं किस हालात में लंदन आई थी और उसकी वजह से मैं मेरे पिताजी को ठीक से बाई भी नहीं बोल पायी थी,
पर लंदन आने के बाद मैं उनसे रेगुलर टच में थी और उनसे काफी बातें भी होती थी, मेरे लंदन चले आने से वो अकेले कोलकाता में नहीं रह पा रहे थे इसीलिए वह हमारे पुश्तैनी घर में मेरी दादीमा और अंकल के साथ रहने चले गए जो कि मुर्शिदाबाद, वेस्ट बंगाल में है,
मैंने लंदन आते ही घर में श्री हनुमानजी की मूर्ति की स्थापना करके पूजा पाठ शुरू किया और यहाँ साउथ हॉल के “श्री राम मंदिर” में हर शनिवार को मेरे हस्बैंड के साथ जाना शुरू कर दिया था,
20th अगस्त को मेरे हस्बैंड मुझे लंदन के बाहर कंट्री साइड में घूमने ले गए थे और हमने वहा 3 दिन बहुत एन्जॉय किया, लेकिन इन सब के बीच मैंने ध्यान नहीं दिया की मेरे पिताजी ने मुझसे ना ही वीडियो कॉल और ना ही वौइस् कॉल पे बात की थी, वे सिर्फ मैसेज पर रिप्लाई दे रहे थे और वो भी बहुत ही कम,
जब मैं लंदन घर वापस आयी तो मैंने मेरे पिताजी को बार बार कॉल किया, पर वे फ़ोन नहीं उठा रहे थे, फिर मैंने अंकल को फ़ोन किया, जयेशभाई मैं वो दिन कभी नहीं भूल सकती क्योंकि मैंने जो सुना उसका मुझे सबसे ज़्यादा डर था, की मेरे पिताजी को COVID-19 पॉजिटिव है,
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ये सुनकर तो मेरे हाथ पैर कांपने लगे, क्योंकि मेरे पिताजी पिछले 10 साल से खून पतला होने की मेडिसिन लेते है, उन्हें डायबिटीज है और क्रोनिक किडनी डिजीज भी है, अगर ओवरआल देखा जाये तो उनमें इम्युनिटी बहुत कम थी, COVID-19 से रिकवर होना बहुत ही मुश्किल था उनके लिए,
मैं इतनी दूर से क्या करूँ, क्या बोलूँ किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था, रो रोकर मुझे convulsion भी होने लगा था, क्योंकि मैं इतनी भी मोरली स्ट्रांग नहीं हूँ जो मेरे पिताजी के बिना रह सकू,
अंकल ने कहा कि इन्फेक्शन गले में फ़ैल चूका है, अगर पिताजी को सांस की तकलीफ शुरू हो जाती है तो वेंटिलेशन बुक करवाना ही पड़ेगा, तब तक डॉक्टर ने सिर्फ Antibiotic aur Hydroxychloroquine (HCQ) Prescribed की थी और होम आइसोलेशन में रहने को कहा, Hanumanji Chamatkar Story in Hindi
लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि डायबिटीज की वजह से पिताजी HCQ जैसी स्ट्रांग मेडिसिन सह नहीं पायेंगे और हमें कोई और रास्ता नहीं मिल रहा था, हम बहुत ज़्यादा टेंशन में थे कि पिताजी को कुछ हो ना जाये,
पर कहते है न जब सारे रास्ते बंद हो जाये तो एक दरवाज़ा ज़रूर खुलता है और वो है प्रभु की शरण में जाना और उनका स्मरण करना, मैंने तुरंत श्री हनुमान चालीसा, संकटमोचन हनुमानाष्टक, सुन्दरकाण्ड की चौपाई और श्री हनुमानजी के 108 नामों का जाप करना शुरू कर दिया,
मैंने रोते रोते शपथ भी ली की जब तक मेरे पिताजी की कंडीशन में सुधार न हो जाये तब तक ना मैं कुछ खाउंगी या पिऊँगी,
जयेश भाई 4 दिन बीत गए मैंने कुछ न खाया पिया और ना ही किसी से बात कर रही थी बस प्रभु का स्मरण कर रही थी और उनके जाप कर रही थी, सच बताऊं तो मुझे याद नहीं ठीक से की मेरी हालत क्या थी उस वक़्त, मेरे हस्बैंड भी काफी अपसेट थे,
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29th अगस्त शनिवार को सुबह स्नान करके श्री हनुमानजी की मूर्ति के सामने बैठके मैंने बजरंग बाण का पाठ करना आरम्भ किया, जब तक मुझे याद है मैंने 110 बार बजरंग बाण का पाठ किया उसके बाद मैंने गिनती नहीं की बस पाठ करती गयी,
लागातार 6 दिनों तक कुछ न खाने पिने से मैं काफी कमज़ोर हो गयी थी और मैं पाठ करते करते बेहोश हो गयी और जब मैं होश में आयी तो मेरे हस्बैंड ने मुझे एक आश्चर्यचकित करने वाली बात कही,
उन्होंने कहा कि जब वे सो रहे थे तब उन्होंने एक अद्भुत सपना देखा की वो उनके ऑफिस के स्टोरेज से मेडिसिन निकालने गए और एक काला सर्प अपना बहुत ही बड़ा फन फैलाके उनको मेडिसिन लेने से रोक रहा है,
तभी अचानक एक बहुत बड़ा लाल देह धारी वानर ने आकर उस सर्प को उठाके दूर फेंक दिया और मेडिसिन का स्टोरेज खोल के वहा से चला गया, Hanumanji ki Sacchi Kahani
इतना कहके मेरे हस्बैंड ने कहा कि सपने में वो श्री हनुमानजी ही थे जिन्होंने मृत्यु का रूप काल सर्प को हटाकर मेडिसिन का स्टोरेज यानि अमृत का दरवाज़ा खोल दिया जो पिताजी को बचा लेंगे,
ये सुनकर मेरी आँखों में आंसू आ गए और मन ही मन एक ही प्रार्थना कर रही थी की “हे प्रभु जिस परिवार पर आपकी कृपा हो भला उस परिवार पर संकट कैसे आ सकता है”
अगले ही दिन घर से फ़ोन आया कि पिताजी का भुखार, सर दर्द और खांसी अब नहीं है, वो स्मेल और टेस्ट भी कर पा रहे है तो अब वेंटिलेशन में जाने की ज़रूरत नहीं है और पिताजी ने मुझसे वीडियो कॉल पे थोड़ी बात भी की, मैं पिताजी को देखकर खुशी से रो रही थी,
उसके बाद 7 दिन तक मैंने हर रोज़ 40 बार श्री हनुमान चालीसा का पाठ किया था और फाइनली पिताजी का 14 दिन बाद टेस्ट का रिपोर्ट नेगेटिव आया, डॉक्टर्स भी चौंक गए थे कि इतनी जल्दी पिताजी की रिकवरी हो गयी, 62 की उम्र में वो भी इतनी सारी बीमारी के साथ,
ये मेरे प्रभु श्री हनुमानजी का चमत्कार नहीं तो क्या है, इसीलिए कहते है न, “नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा” जैसे उन्होंने लक्ष्मण जी के प्राण बचाये थे वैसे ही जो कोई भी उनकी शरण में जाता है उनकी रक्षा स्वयं बजरंगबलि करते है, Hanumanji Chamatkar Story in Hindi
अब उस बात को एक महीना हो गया है प्रभु की कृपा से मेरे पिताजी बिल्कुल स्वस्थ है, मुझे अब ऐसा ही लगता है की इस जनम में श्री हनुमानजी की मैं जितनी भक्ति करूँ उतनी कम है, प्रभु श्री हनुमानजी ने हर पल मेरी और मेरे परिवार की रक्षा की है,
जयेश भाई आपका धन्यवाद भी हम कैसे करे, जितना करे उतना कम है, ऐसा लगता है जैसे प्रभु ने खुद आपको भेजा है मुश्किल समय में राह दिखाने के लिए, आप जैसे हार्ड-वर्किंग व्यक्ति मैंने कभी नहीं देखा जिनको इतनी सी उम्र में हमारे सनातन धर्म के बारे में इतना नॉलेज है,
और आखिर में एक बात जरूर कहना चाहती हूँ जयेश भाई, मेरे पिछले वीडियो के बाद मुझे पर्सनली बहुत रिक्वेस्ट आये की मैं बजरंग बाण पाठ के ऊपर कुछ डिटेल्स बताऊ, पर मै सिर्फ आपके विडियो के ज़रिये ही कुछ बताना चाहती हूँ,
वैसे तो जयेश भाई ने 24th सेप्टेम्बर, 2020 वाले वीडियो में बजरंग बाण से रिलेटेड सारे डाउट क्लियर कर ही दिए है, मै सिर्फ इतना कहना चाहती हूँ कि पाठ में जहा पर श्री हनुमान जी को प्रभु श्री राम जी की दुहाई दी जाती है जैसे “उठु उठु चलु तोहिं राम दुहाई” यहाँ पे “करुण स्वर” का प्रयोग कीजिये जैसे लगे प्रभु से आप विनती कर रहे हो,
और जहाँ जहाँ उनका वीर भाव का प्रकाश है जैसे “ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्त हठीले” या फिर “ॐ चं चं चं चं चपल चलन्ता” यहाँ “वीर स्वर” का प्रयोग करना है क्यूंकि ये प्रभु को उनके वीरता कि याद दिलाता है,
जयेश भाई आप ऐसे ही हम सबका भला करते रहिये, प्रभु श्री हनुमान जी कि कृपा सदा आप और आपके परिवार पर और हम सब पर बानी रहे,
तो दोस्तों देखा आपने कैसे इस महिला भक्त के पिताजी के प्राणों की रक्षा की हमारे बजरंगबलि ने, ये एक और उदाहरण था जहाँ श्री हनुमानजी ने एक और असंभव कार्य को संभव किया, तो ऐसे ही है हमारे बजरंगबली.
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धन्यवाद 🙂
जयेश वाघेला
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