ये 3 घटना मुझे प्रभु के करीब ले आई – हनुमानजी का चमत्कार

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Pawanputra Hanumanji ki Kripa in Hindi

मेरा नाम रोशन लाल है और मैं राजस्थान के एक छोटे से गांव का रहनेवाला हूँ, जयेश भाई आपका बहुत-बहुत धन्यवाद जो आप इस कलयुग में बहुत से लोगो को मोटीवेट कर रहे हो, जिससे बहुत से लोगो को जीवन में आगे बढ़ने की उम्मीद और मोटिवेशन मिल रहा है, Pawanputra Hanumanji ki Kripa in Hindi

प्रभु की भक्ति मैंने अपने पापा को देखकर सीखी है, मैं पिछले 8 साल से हनुमान जी के व्रत कर रहा हूँ, मुझे बहुत से लोग पूछते है की मैं ये सब क्यों कर रहा हूँ, ये तो मुझे भी नहीं पता पर हनुमान जी के लिए ये मेरी भक्ति ही है जिसने मुझे उनके व्रत करने के लिए प्रेरित किया, क्योंकि मैंने बचपन से ही हनुमान जी को अपने साथ महसूस किया है,

मुझे नहीं लगता कि पिछले 10-12 साल में कोई भी दिन ऐसा रहा होगा जब मैंने हनुमान जी की कृपा को महसूस ना किया हो, परन्तु आज मैं अपने जीवन में घटित हुए हनुमान जी के कुछ ऐसे चमत्कारों के अनुभव शेयर करूँगा जिसने मुझे हनुमान जी के और करीब ला दिया,

ये बात मई 2015 की है जब मेरे बड़े भैया फॉरेन से जॉब से छुट्टी लेकर वापिस घर आ रहे थे, लेकिन उनके सारे डाक्यूमेंट्स, सामान सब चोरी हो गया और उनकी हालत ऐसी हो गयी थी मानो वो पागल हो गए हो,

जिस दिन भैया आनेवाले थे उस दिन उन्होंने मम्मी को सुबह कॉल करके बताया की वो शाम 4 बजे तक घर पहुँच जायेंगे, घर पर सब बहुत खुश थे कि अब घर की सारी परेशानियां दूर हो जाएगी, पर नियति को कुछ और ही मंजूर था,

शाम 6 बजे तक भैया का कोई कॉल नहीं आया की वो इंडिया पहुंच गए है या नहीं, जैसे-जैसे टाइम निकलता जा रहा था सबकी टेंशन बढ़ती ही जा रही थी, उस वक़्त मैं केवल 17 साल का था कुछ भी सोचने समझने के काबिल नहीं था कि इस सिचुएशन में क्या किया जाये, Pawanputra Hanumanji ki Kripa in Hindi

मम्मी पापा हर तरह कोशिश कर रहे थे, चारो तरफ कॉल कर रहे थे पर कही से कोई इनफार्मेशन नहीं मिल रही थी, रात को 10 बजे तक कोई इनफार्मेशन नहीं थी, मम्मी टेंशन के मारे रोने लगती थी, पापा जैसे तैसे उन्हे हिम्मत दे रहे थे, अब तो मेरी भी हिम्मत जवाब देने लगी थी,

वो कहते है न कि जब इंसान खुश या दुखी होता है तो केवल उसे ही बताता है जो उसके दिल के सबसे करीब हो, मैंने अपने हनुमान जी को बोला की, “हे प्रभु, अब आपसे ही उम्मीद है, मुझे अपना भाई चाहिए चाहे जैसे भी हो”,

फिर जैसे तैसे रात बीतने लगी सुबह 4 बजे भैया का कॉल आया कि उन्हें भी नहीं पता की वो कहा है और उनके पास कोई सामान नहीं है, मम्मी भैया को बोल रही थी कि रास्ते में किसी से भी पूछ ले कि तू कहा है और बस तू घर आजा हमें पैसे या सामान नहीं चाहिए,

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फिर सुबह 5 बजे के बाद एक बार भाई का फिर से कॉल आया की वो 6 बजे घर से 20 km दुर बस स्टॉप पर पहुंचेंगे, ये बात मम्मी ने मुझे बतायी और उस वक़्त घर पर कोई गाडी नहीं थी तो मैं पैदल ही घर से निकल गया,

वहा मैंने भैया को देखा तो मैंने अपने प्रभु को धन्यवाद किया, ये मेरे प्रभु का चमत्कार ही था की जिस इंसान को ये भी पता नहीं था की वो कहा है और केवल 2 घंटे में ही घर के 20 km दूर आ गए थे, हम घर वापिस आ गए,

लेकिन प्रॉब्लम यही खत्म नहीं हुई नहीं थी, घर पर इनकम का कोई भी साधन नहीं था और मेरा कॉलेज में एडमिशन करवाना था और 10 दिन के अंदर ही मुझे 90,000 रुपये कॉलेज की फीस भरनी थी, पर घर पर एक पैसा भी नहीं था, तब मैंने पहली बार अपने पापा की आँखों में आंसू देखे थे, पापा मुझसे बोले की बेटा आज मैं तेरा एडमिशन करवाने में नाकाम होने वाला हूँ, Pawanputra Hanumanji ka chamatkar

तब मैंने पापा से कहा की हिम्मत मत हारिये बस प्रभु पर विश्वास रखिये सब ठीक हो जायेगा, जयेश भाई मई महीने में बहुत गर्मी होती है पर फिर भी पापा उस गर्मी में पैदल ही निकल गए और किसी से पैसे के लिए बोले कि मेरे बेटे का एडमिशन करवाना है,

जयेश भाई मेरे प्रभु का चमत्कार तो देखो उस आदमी ने पापा को 1 लाख रुपये बिना कुछ कहे दे दिए, ये सब मेरे प्रभु का चमत्कार ही था, प्रभु के आशीर्वाद से सब धीरे-धीरे नार्मल होने लगा, उस दिन से मैंने अपने प्रभु से केवल यही माँगा था की प्रभु मुझे इतना काबिल बनाना कि मैं अपने मम्मी पापा की आँखों में फिर से आंसू ना देखु,

प्रभु की कृपा तो देखो मेरे b.tech के 3rd ईयर में ही एक MNC में प्लेसमेंट हो गया, उस दिन मैंने अपने पापा की आँखों में ख़ुशी की चमक पहली बार देखी थी, प्रभु के आशीर्वाद से सारा काम अपने आप हो गया और मुझे जॉब जोइनिंग में भी कोई प्रॉब्लम नहीं हुई,

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फिर हाल ही में नवम्बर महीने में मेरे साथ एक ऐसी घटना हुई जिससे प्रभु के प्रति मेरा विश्वास और बढ़ गया, नवम्बर महीने में घर पर टयुबवेल का काम हो रहा था, 4 दिन लगे टयुबवेल होने में पर पानी की एक बूंद तक नहीं आयी और नीचे पत्थर आ गए तो पत्थर को कटवाने के लिए दूसरी मशीन बुलवाई गयी,

सब लोग बोल रहे थे की 600 फीट नीचे पानी आ जायेगा, फिर उस दिन मैं अपने प्रभु को याद करके सो गया, जब रात 1 बजे आँख खुली तो पता चला कि पत्थर आलरेडी 650 फ़ीट तक कट चूका है पर पानी का कोई निशान तक नहीं आ रहा था, मैंने प्रभु का नाम लेकर सबको विश्वास दिलाया कि पानी जरूर आएगा और पत्थर काटने दीजिये,

सुबह 4 बजे मैंने नहा-धोकर प्रभु को भोग लगाया और प्रभु से पानी के लिए प्रार्थना की कि, “हे प्रभु अगर टयुबवेल में पानी नहीं आया तो सब लोग पापा पर हसेंगे और आपके रहते हुए कोई आपके भक्त पर कैसे हँस सकता है,”

फिर जैसे-तैसे सुबह 7 बज गए टयुबवेल 750 फ़ीट तक जा चूका था और अब तक पानी नहीं आया, पापा ने तो बोल दिया था कि यहाँ पानी नहीं आएगा मशीन रुकवा देते है, फिर मैंने बोला की 200 फ़ीट और देखते है पानी जरूर आएगा,

ये कहकर मैं वापिस मंदिर आ गया, इस बार गुस्सा और नाराज़गी दोनों थे, प्रभु के पास आकर रोने लगा कि प्रभु आज पानी नहीं आया तो मैं आपके मंदिर में कभी नहीं आऊँगा, ये कहकर मैं वहीं बैठकर रोने लगा, फिर थोड़ी देर बाद मेरा गुस्सा शांत हुआ और मुझे एहसास हुआ की मैं ये क्या बोल गया,

फिर ये सोच-सोच कर रोने लगा कि प्रभु आपके नाम से दिन की शुरुवात होती है और अब अगर टयुबवेल में पानी नहीं आया तो मैं तो अपने ही संकल्प की वजह से आपसे दूर हो जाऊँगा, हे दयानिधान आपके तो मुझसे भी बड़े-बड़े भक्त होंगे पर प्रभु मेरा तो और कोई नहीं है, प्रभु आपके बिना मैं कैसे रह सकूंगा,

मैंने मंदिर की खिड़की से झांक कर देखा तो मुझे लगा थोड़ा पानी आया है टयुबवेल से, पर मुझे तो अब इस बात का दुःख था की अगर पानी नहीं आया तो प्रभु के बिना मैं कहाँ जाऊंगा, क्योंकि संकल्प भी तो मैंने प्रभु के सामने ही लिया था, फिर मैंने एक बार और कठोर दिल से प्रभु से कहा कि प्रभु अब ये भक्त आपको नहलाने के लिए नए टयुबवेल से ही पानी लेकर आएगा वरना आपके सामने नहीं आएगा, Pawanputra Hanumanji ki Kripa in Hindi

मैं वापिस टयुबवेल के पास गया, पर वहाँ थोड़ा सा पानी ही आया था, मैं बस बार-बार प्रभु के मंदिर और टयुबवेल की तरफ देख रहा था और मन ही मन प्रभु से प्रार्थना कर रहा था कि प्रभु एक भक्त की लाज अब आपके हाथ में है, थोड़ी देर बाद मेरे प्रभु ने पुकार सुन ली और पानी आ गया,

जयेश भाई मेरी हालत ऐसी थी जैसे मरते हुए को जीवन मिल गया हो, जैसे-जैसे टयुबवेल से पानी आ रहा था, मेरी आँखों से भी ख़ुशी के आंसू आ रहे थे की अब मुझे मेरे प्रभु से कोई दूर नहीं कर सकता, मेरे प्रभु ने मुझे अपने चरणों में वापिस रख लिया,

जो पानी टयुबवेल से आ रहा था उसका एक जग पानी का लेकर मैं प्रभु के पास उनके मंदिर वापिस आ गया और प्रभु के चरणों में गिरकर वही रोने लगा और धन्यवाद करने लगा की प्रभु आपने मुझे अपने पास वापिस बुलाया और एक भक्त की लाज रख ली, इसलिए कहते है ना कि प्रभु अपने भक्त का साथ कभी नहीं छोड़ते,

जयेश भाई कभी-कभी मुझे लगता है की प्रभु का ज़िद्दी भक्त हूँ मैं, पर प्रभु तो दयावान है जिनके चरणों में सभी भक्त एक सामान है, मैं जब भी इन चमत्कारों को याद करता हूँ तो प्रभु को अपने पास पाता हूँ और उन्हें याद करके आँखों में आँसू आ जाते है, प्रभु ने मेरे पापा की लाज रख ली और मुझे अपने चरणों में रख लिया.


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