क्यों हुआ मेरे पापा के साथ ऐसा – हनुमान जी के चमत्कार की सच्ची घटना

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Pawanputra Balaji ka Chamatkar in Hindi

क्यों हुआ मेरे पापा के साथ ऐसाहनुमान जी के चमत्कार की सच्ची घटना

मेरा नाम सुनिधा तिवारी है, मैं गोरखपुर उत्तर प्रदेश से हूँ, जयेश भाई एक दिन अचानक मैंने आपका वीडियो देखा और वीडियो देखकर मुझे काफी अच्छा लगा तो मैंने सोचा क्यों ना मैं भी अपने साथ घटित हुई हनुमानजी की कृपा को आप सभी के साथ शेयर करूँ, Pawanputra Balaji ka Chamatkar in Hindi

बात 6th मई 2020 की है जब पूरे देश में लॉकडाउन लगा था, घर में हम 5 लोग रहते है, मेरे परिवार में मेरे पापा, मम्मी, एक भाई और एक बहन है, लॉकडाउन की वजह से सब बंद होने के कारण हम काफी परेशान थे,

मेरे पिताजी की B.P और शुगर की दवा चल रही है, लॉकडाउन के कारण सिर्फ मेडिसिन स्टोर पर ही जा सकते थे वो भी पुलिस वालों से पास लेकर, घर में स्कूटी ख़राब थी और मुझे चलाना भी नहीं आता था, मेरा भाई भी छोटा होने के कारण उसे भी स्कूटी चलाना नहीं आता था,

मैंने अपनी एक फ्रेंड से पिताजी के लिए दवाइयां लाने को कहा जो स्कूटी चला लेती थी, पर उसने मुझे मना कर दिया की कोरोना बहुत बढ़ गया है इसलिए घरवाले मना कर रहे है, मैंने जैसे-तैसे मैनेज किया और पिताजी के लिए दवाइयां ले आयी, Pawanputra Balaji ka Chamatkar in Hindi

कुछ दिन बाद मेरे पिताजी आटा लेने बाजार गए, लेकिन 9 बजे के बाद दुकानें बंद होने के कारण घर वापस आ गए, घर आकर पिताजी ने माँ से कहा की आज मैं रोटी बनाउंगा, लेकिन माँ को उनका रोटी बनाना अच्छा नहीं लगा और माँ ने कहा आप बैठिए मैं बनाती हूं,

घर का ये प्यार भरा माहौल देखकर मैं बहुत खुश थी और मन में सोच रही थी कि पिताजी ऐसे ही स्वस्थ रहे और मैं इंग्लिश M.A की बुक पढ़ने लगी, पिताजी कुछ देर बाद दूसरे रूम में सोने चले गए,

10 मिनट बाद पिताजी के मुँह से झाग निकलने लगे और उनकी साँसे तेज होने लगी, मेरी बहन ने मुझे आवाज़ लगायी कि पापा को कुछ हो गया है, जब मैंने उन्हें देखा तो उनकी आँखें बहुत चमक रही थी और वो बोलने की कोशिश कर रहे थे लेकिन बोल नहीं पा रहे थे, उनकी राइट साइड की बॉडी ढीली पड़ गयी थी, वे बैठ नहीं पा रहे थे,

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ये देख मैं बता नहीं सकती कि मेरा दिमाग क्या काम कर रहा था, 5 मिनट बाद मुझे लगा की पापा को पैरालिसिस हो गया है और मैंने कही पढ़ा था कि पैरालिसिस के पेशेंट को 3 घंटे में होस्पिटलिज़्ड करने से ठीक हो जाते है,

सबका दिमाग काम नहीं कर रहा था, लेकिन मैंने अपने छोटे भाई को तुरंत कहा कि अगल बगल से लोगो को बुलाओ और अपने एक फ्रेंड को कॉल किया जिससे मेरी एक दिन पहले ही लड़ाई हुई थी कॉलेज प्रोजेक्ट को लेकर और हमारी बात खत्म हो गयी थी, मैंने एक बार फ़ोन किया और उसने उठा भी लिया, इससे पहले वो कभी भी मेरा एक बार में फ़ोन नहीं उठाता था, मैंने कहा तुम घर आ जाओ पापा को पैरालिसिस हो गया है शायद,

15 मिनट में वो घर आया और उससे पहले मैंने एम्बुलेंस को भी कॉल कर दिया था और दोनों ही सेम टाइम घर के बाहर थे, फिर हम सबने मिलकर पिताजी को नीचे उतारा और हॉस्पिटल ले गए,

डॉक्टर ने कहा एक इंजेक्शन है 60,000 का आप मैनेज कर पाऊँगी? कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या होने वाला है, डॉक्टर ने वो इंजेक्शन पिताजी को 3 दिन 3 बार दिए और मुझसे कहा की आप अपने पिताजी को भूल जाये उनकी हालत ठीक होना मुश्किल है और भगवान से प्राथना करे,

ये सुनकर मेरे पैरों तले जमीन हिल गयी थी, हर दिन पिताजी की आँखों की पुतलियां किनारे की तरफ हो गयी थी, उनके नाक में पाइप डाला गया खाने के लिए जिससे उन्हें केवल दूध दिया जाता था,

3 दिन बीतने के बाद मैंने डॉक्टर से पूछा कि मेरे पिताजी बात क्यों नहीं कर रहे है? तो डॉक्टर ने कहा कि इनके ब्रेन में स्ट्रोक हुआ है, हाफ ब्रेन में ब्लड क्लॉटिंग हो चुकी है, जिससे उनकी आवाज़ चली गयी है और राइट साइड paralyse हो गया है, ये कहकर डॉक्टर चले गए, Pawanputra Balaji ka Chamatkar in Hindi

रात के 9 बजे तक मैं चुप-चाप हॉस्पिटल में बैठी थी, सबके कॉल्स आ रहे थे लेकिन मुझे फ़ोन की रिंग दिमाग में नहीं जा रही थी, फिर काफी देर होने के बाद हॉस्पिटल के स्टाफ ने मुझे घर जाने को कहा, हॉस्पिटल का फ्रंट गेट बंद हो चूका था और एमरजेंगी गेट ओपन था तो मुझे वहीं से जाना पड़ा,

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बीच में कॉरिडोर था वहा मैंने मेरे बजरंगबली की प्रतिमा को देखा, मैं वहां रुकी और खूब रोई, पता नहीं कितने देर मैं प्रभु के सामने हाथ जोड़के रोती रही, मैंने प्रभु से पूछा की कौन देगा साथ ऐसी कंडीशन में? कोरोना के कारण मैंने मम्मी और भाई बहन को हॉस्पिटल आने के लिए मना किया था, क्योंकि मैं जानती थी कि वे पिताजी को ऐसी हालत में नहीं देख पाएंगे, Pawanputra Balaji ka Chamatkar in Hindi

फिर 9 दिन हॉस्पिटल में रहने के बाद कोई सुधार ना देखकर भगवान भरोसे उन्हें 14th मई 2020 को डिस्चार्ज दे दिया गया, रिश्तेदारों के सिर्फ कॉल्स आते थे कोई मिलने तक नहीं आया हॉस्पिटल में,

घर पे पापा को गाडी में लोग रूम में छोड़ कर गए, लेकिन मैंने सबको हिम्मत दी थी कि पिताजी 6 महीने में ठीक हो जायेंगे, लेकिन और मुश्किल तो अब आनी थी, समय और कठिन होता जा रहा था,

मैं बहुत निराश थी, घर आने के बाद मैंने सोचा कि पैरालिसिस के केस में मैंने पापा को 3 घंटे के अंदर हॉस्पिटल ले गयी थी फिर भी कोई फायदा नहीं हुआ,

फिर अचानक मेरे दिमाग में ख्याल आया की उस दिन मुझे एम्बुलेंस जो मेरे घर से 1 घंटे की दूरी पर थी वो 15 मिनट में कैसे आई? वो मेरा फ्रेंड जिससे सिर्फ कॉलेज में बात होती थी जिससे मेरा झगड़ा हो गया था जो एक बार में मेरा कभी फ़ोन नहीं उठता था उसने 15 मिनट में ही कैसे मेरा घर ढूंढ लिया?

जिस डॉक्टर ने 3 दिन में मेरे पिताजी को भूल जाने को कहा था और आँखें भी जा चुकी थी वो कैसे ठीक हुई, यहाँ तक की रिपोर्ट्स में कनफर्म्ड हो गया था की अब वो ठीक नहीं हो सकते, जब मैं डॉक्टर से मिली तो उन्होंने कहा बेटा तुम लकी हो जो इतने बड़े ब्रेन स्ट्रोक के बाद भी अपने पिताजी को जिन्दा घर ले जा रही हो,

जयेश भाई आज भी मेरे पिताजी बोल नहीं पाते लेकिन हमें पहचानते है, एक हाथ उनका काम करता है जिससे वो हर चीज़ बताने की कोशिश करते है, कई बार और भी दिक्कतें हुई और मैंने हाथ जोड़कर बजरंगबली से यही प्रार्थना की है की हे प्रभु मेरा कन्यादान मेरे पिताजी के हाथों करवाना,

पूजा-पाठ मैं करती तो थी पर भक्त नहीं थी, पहले कई बार मन हुआ तो ही हनुमान चालीसा का पाठ करती थी, लेकिन उस रात जब मैंने अपने हनुमान जी के सामने रोई ये कहकर की कौन है मेरा? बजरंगबली ने अपना हाथ मेरे सर पर रख दिया,

शायद नियति को यही मंज़ूर था लेकिन बजरंगबली ने हर कदम पर हिम्मत दी है मुझे और अब मैं बजरंगबली की भक्त हूँ, जब मुझे कुछ समझ नहीं आता तो सब उनके हाथ छोड़ देती हूँ, अब मैं हर रोज हनुमान चालीसा का पाठ करती हूँ, मैंने बजरंगबली की अलग से मूर्ति स्थापित की है मंदिर में, मुझे विश्वास है की मेरे पिताजी बिलकुल ठीक हो जायेंगे, प्रभु बस ऐसे ही साथ देते रहिएगा.


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