कानपुर के PANKI HANUMAN MANDIR में हुई भगदड़ में बुरी तरह घायल हुए इस भक्त की जान बचाई हनुमानजी ने
Panki Hanuman Mandir मेरा नाम दीपांशु शुक्ला है और में उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के कल्याणपुर में रहता हूँ, मेरे बड़े भाई का नाम हिमांशु शुक्ला है और ये सच्ची घटना मेरे बड़े भाई से ही जुडी है,
हमारे क्षेत्र में श्री हनुमानजी का अलौकिक मंदिर है, जो पनकी मंदिर के नाम से जाना जाता है, मेरे बड़े भैया हर मंगलवार को श्री हनुमानजी के दर्शन करने पनकी मंदिर जाते थे और सुंदरकांड का पाठ करते थे,
ये बात करीब 2012 की है, बुढ़वा मंगल के पर्व पर इस पनकी मंदिर में लाखों श्रद्धालु आते है और उस दिन भी वही हुआ और उस दिन मंदिर के कपाट रात 12 बजे से खुल जाते है,
तो मेरे बड़े भैया रात 12 बजे साइकिल से अकेले निकल पड़े, हमे घर से मंदिर की दूरी करीब 6 से 7 किलोमीटर है, हम सुबह तक भैया का मंदिर से आने का इंतज़ार करते रहे,
धीरे धीरे समय व्यतीत होने लगा और हम लोग डरने लगे, क्योंकि शाम के 3 बज गए थे लेकिन भैया का कुछ पता नहीं, उनके पास फोन भी नहीं था जो हम उनसे बात कर लेते,
फिर मेरी दीदी ने मुझे भैया को देखने के लिए मंदिर भेज दिया, जब वह पहुँचा तो लाखों लोगो की भीड़ के कारण में कुछ नहीं कर पा रहा था,
फिर मैंने वहां लगी पुलिस से बात की, तो उन्होंने कहा की यहाँ रात में भगदड़ मची थी और उसमे एक व्यक्ति की मौत भी हो गयी थी और कई लोग भगदड़ के कारण बुरी तरह घायल भी हो गए थे,
ये सुनते ही में रो पड़ा, फिर कुछ देर बाद मैंने वहां के पुलिस अधिकारी से बात की और उन्हें मिछ से बोलने के लिए कहा, मैंने सोचा शायद मेरे भैया अंदर हो तो बाहर आ जायेंगे,
लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, में निराश हो गया और मैंने घर लौटने के बारे में सोचा, थोड़ी देर बाद मुझे मेरे भाई की साइकिल दिखाई दी,
तो मैंने साइकिल स्टैंड के मालिक से बात की तो उसने कहा की आपकी साइकिल की रसीद दो और साइकिल ले जाओ, लेकिन मेरे पास साइकिल की रसीद न होने के कारण मुझे साइकिल नहीं दी,
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अब तो धीरे धीरे शाम होने लगी थी, मैंने सोचा क्यों न पुलिस स्टेशन में पता किया जाये कि भगदड़ में किसे किसे चोट आई है और किसकी मृत्यु हुई है,
लेकिन उन्होंने मुझे बताया कि रात में जो भी घायल हुए है उनको जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है,
ये सब करते करते रात होने लगी थी मैंने घर जाना ही सही समझा, घर पहुँचते ही देखा तो मेरे घर पर सभी रो रहे थे, मानो सब कुछ बर्बाद हो चूका था,
उस समय मेरे भाई की उम्र केवल 18 साल की ही थी, मेरी दीदी ने मुझे बताया कि हिमांशु भगदड़ में सबसे ज़्यादा घायल है और मेरे घर के लोग जिला अस्पताल के लिए निकल पड़े बस मुझे छोड़ कर,
यहाँ पर आते ही थर थर कांपती है प्रेत आत्माएं
और अगले दिन न्यूज़ पेपर में सबसे ऊपर मेरे भाई की और जो मर गए थे उनकी फोटो थी, में आप सभी को एक बात बताना ही भूल गया, उस समय मेरे भैया एयरफोर्स में सेलेक्ट हो गए थे,
बस शारीरिक वजन कम होने के कारण 40 दिनों का समय दिया गया था, 40 दिन बाद दोबारा मेडिकल होना था, जिसमे से भैया के करीब 20 दिन गुज़र चुके थे,
बाकी 20 दिनों में भैया का ठीक होना मुश्किल था, क्योंकि एयरफोर्स में दाग धब्बों के कारन भी निकाल देते है, इसलिए हम लोग और भैय्या भी एयरफोर्स को भूल जाना चाहते थे और हम सिर्फ भैया के सही होने की उम्मीद कर रहे थे,
हमने सब कुछ बजरंगबलि पर छोड़ दिया था, मेरे भैया श्री हनुमानजी को बहुत मानते है, उनका सपना था की वे एयरफोर्स ज्वाइन करे वे दिन रात उसी की प्राथना करते रहते, लेकिन अचानक ये भगदड़ वाली घटना हो गयी, मगर शुक्र है की मेरे भैया को कोई जान हानि नहीं हुई,
थोड़े दिनों बाद भैया को जिला अस्पताल से छुट्टी से दी गयी और थोड़े दिन बाद ही भैया का मेडिकल था, हम लोगो को पता ही नहीं चला कि भैया कब ठीक हो गए और मंगलवार के दिन भैया का मेडिकल हुआ,
उसके बाद वाले मंगलवार के दिन भैया की मेरिट लिस्ट आई, आप मानोगे नहीं कि भैया को सेलेक्ट कर लिया गया,
अब तो बस जोइनिंग आणि थी और वो भी मंगलवार के दिन आई और मेरे भैया पहली बार 6 महीने बाद चेन्नई से घर आये उस दिन भी मंगलवार था और जब घर से निकले दोबारा जाने के लिए तो वो दिन शनिवार था,
और ये काफी समय से हो रहा है और अभी मेरी दीदी की शादी थी 4th फेब्रुअरी 2020 को उस दिन भी मंगलवार था,
अब आप ही बताये की ये हमारे बजरंगबली की कृपा नहीं तो क्या है, उन्होंने मेरे भाई को उस भगदड़ में मौत के मुंह से बचाया और उनका एयरफोर्स में ज्वाइन होने का सपना भी पूरा किया जो की हमें असंभव लग रहा था,
बजरंगबली की भक्ति कभी खाली नहीं जाती वे अपने भक्तों की रक्षा करने और उनकी हर मनोकामना पूर्ण करने के लिए हमेशा तत्पर रहते है.
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